चाहत एक अनकहा सपना है
जो हर दिल में छिपा रहता है,
कभी धूप बनके चमकती है,
कभी छांव में थमी रहती है
चाहत वो खामोश पुकार है,
जो दिल की गहराइयों से आती है,
बिना शब्दों के ही ये समझी जाती है,
ये वो मौन है, जो सदा गाती है।
कभी फूलों सी महकती है
तो कभी अश्कों में भीगी रहती है,
पर ये चाहत ही तो है जो जीवन को,
हर मोड़ पर खूबसूरत बनाती है।
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