"जो झूठ लिखूँ ,
तो तुझे अपना लिख दूँ…
जो सच लिखूँ ,
तो खुदको तेरा लिख दूँ…
जो हक़ीक़त लिखूँ ,
तो ये इश्क़ एक तरफा लिख दूँ…
जो ख़्वाब लिखूँ ,
तो ये इश्क़ मुकम्मल लिख दूँ…
जो मौक़ा मिले लिखने का,
तो मेरी क़िस्मत में तेरा नाम लिख दूँ…
जो तक़दीर लिखूँ ,
तो अपने हिस्से में तेरा प्यार लिख दूँ…
जो क़िस्मत लिखूँ ,
तो तुझे अपना लिख दूँ
मैं लिखूँ तो क्या लिखूँ ,ना लिखूँ तो क्या ना लिखूँ?…
कभी रूहानी लिखूँ ,कभी जिस्मानी लिखूँ...
मैं हर अल्फ़ाज़ में तुझे अपना लिख दूँ..
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